Balance Sheet: Balance Sheet Kya Hota Hai How to Manage Your Small Business Balance Sheet In Hindi

 Balance Sheet: Balance Sheet Kya Hota Hai How to Manage Your Small Business Balance Sheet In Hindi




बैलेंस शीट एक फिनांशल स्टेटमेंट है जो किसी कंपनी का कैपिटल स्ट्रक्चर किसी एक समय पर कैसा था वो दिखाता है। 



सीवी भाषा में को बताता है कि किसी कंपनी का वेल्थ कहां किस रूप में है उस पे छोटे बड़े कितने कर्जे हैं और उसमें कितना पैसा वहां से नस्ट हुआ ये कुछ ऐसा दिखता है। इस पर हम डिटेल में में आएंगे। एक बैलेंस शीट में जो दो चीजों की बात करता है असेट्स और लायबिलिटीज और शायद आपने सुना होगा। बैलेंस शीट का जो अंडरलाइन फॉर्मूला है वो है असर इसे कॉस्ट लायबिलिटी प्लस इक्विटी सेल का हो तो असेट्स वो वैल्यू है जो कंपनी कौन करता है और लायबिलिटी वो है जो उसे लौटाने है और दूसरों का आभारी है। किसी भी पॉइंट ऑफ टाइम पर असेट्स बराबर होंगे। लायबिलिटी स्पेस इक्विटी की अब आप पूछोगे ऐसा क्यों ऐसा क्योंकि कंपनी जो भी असेट ओन करती है, उसका पैसा कहीं ना कहीं से उधार लिया होता है जो लायबिलिटी या फिर किसी के इन्वेस्टमेंट हो जो इक्विटी है। 



अब आप सोचते होंगे कि असेट्स और लायबिलिटी तो ठीक है कि इक्विटी कहां से आया। बता दें आपने देखा होगा जिसमें इन्वेस्टर्स बिजनेस में अपना पैसा डालते हैं या इन्वेस्ट करते हैं और बदले में बिजनेस के शेयर या पार्टनरशिप  लेते हैं जो ये पैसा इन्वेस्ट होता है वह शेयर होल्डर्स इक्विटी कहलाता है। इसमें वो पैसा भी आता है जो बिजनेस के फाउंडर ने खुद लगाया था। अगर ये सब थोड़े भारी लग रहा है तो मेरे एग्जामपल से समझते हैं तो हमने ब्रेक लिया। एक बैलेंस शीट में क्या क्या होते हैं तो चलो देखते हैं? एक बैलेंस शीट में कहां क्या आता है?  बाय ओरे कंपनी के असेट्स इसमें आते हैं। करेंट और नॉन करंट असेट्स मनोज स्टोर के करें। 



असेट्स में वो सारे असेट्स आएंगे जो ज्यादा लिक्विड हो। मतलब जल्दी कैसे बदल सकते हैं और जिनका टर्नओवर एक साल से कम नॉन कर असेट्स में वो सारे जाएंगे जिनकी उम्र एक साल से ज्यादा की है का सेक्स में आएगा। आपका कैश इन वेंडरिंग और कांग्रेसी मेंबर कांग्रेस वेवल को पैसा होता है जो आपको कहीं और से आने वाला उसे मुश्किलें आपके कस्टमर से वो भी एक साल के अंदर वही इन्वेंट्री आपका प्रोडक्ट का वो स्टॉक हो गया जो आपके पास ही है और आप उसे एक साल में बेचने वाले हो, अब बात करते हैं। नॉन करेंट अफेयर्स की ये हो गए आपके इक्विपमेंट्स जमीन दुकानें ऑफिस की बिल्डिंग इत्यादि। ये आपके फिक्स असेट्स जो आपको समय के साथ मुनाफा कमा के देते रहे इन नॉन करंट असेट्स में से आपको डुप्लीकेशन घटाना पड़ेगा। 



समय के साथ साथ आपके फिक्स असेट्स की वैल्यू में भी गिरावट आती जाती है। उसे डेप्रिसिएशन कहा जाता है जैसे जैसे आपका सामान प्रॉपर्टी या कंपनी पुराना होता जाएगा, उसकी वैल्यू भी कम होती जाएगी। जब हम करेंट और नॉन करंट असेट्स को जोड़ते हैं   तो मेहमानों से मार्केट का टोटल ऑफसेट मिलेगा। दूसरे साइट पर मात्रा लाइबिलिटीज असेट्स की तरह ही लाइबिलिटी रुपए दो प्रकार के होते हैं। करें और नॉन करंट करंट लाइबिलिटीज में आएंगे। आपके शासन गैस अकाउंट्स पेबल, इम्प्लॉइज की स्पेंडिंग सैलेरी और बोनस जो साल के अंदर देने होते हैं। अकाउंट केवल आश्वासन डेट्स वो पैसे हैं जो आपको किसी और को देने हैं। एक साल गेन अकाउंट पे वैल्यूशन आपको सेलर को देने हैं जिनसे आपने माल्या रोड मेटल खरीदा। शॉर्ट टर्म डेट आपको बैंक या मैनेजर्स को देने होते हैं। नॉन करंट लाइबिलिटीज में आता है।



 आपका लंबा चलने वाला कैसा चलो अब बात करते हैं। इक्विटी के छोटे बिजनेस के लिए ये दूसरे से फोन का पैसा होता है जो सेट बिजनेस में लगाया था। अगर साथ में किसी इन्वेस्टर ने भी पैसा लगाया था तो वह भी यहीं आएगा। रेटेड ओपनिंग वो प्रॉफिट है जो अपने बिजनेस से कमाया और बिजनेस के ग्रो करने में वापस लगा दिया। ये तो बैलेंसशीट की बात पर ये सब करके क्या मिलेगा। बैलेंस शीट आपको बताता है कि आपका बिजनेस के समय पर कहां खड़ा था। आप देख सकते हो कि आपके असेट्स और लाइबिलिटीज कहां कहां पर है। आपका बिजनेस कितना फ्लेक्सिबल है और इस फ्लेक्सिबिलिटी को आप कितना और यूज कर सकते हैं। अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बताते हूं कैसे मान लो मनोज सुपर मार्केट के पास असेट्स तो ढेर सारे हैं पर ये सब जमीन ऑफिस का सामान इक्विपमेंट का पैसा अटका हुआ है और इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। 



वहीं अगर इनके पास असेसमेंट ज्यादा करके कैश आयन बैटरी है तो इनके पास ज्यादा लिक्विडिटी है, जिसका इस्तेमाल बिजनेस बढ़ाने में कर   सकते हैं या फिर नए डिसीजंस तुरंत लगाने के इनके पास पैसे अवेलेबल हैं। वैसे ही ज्यादा डेट से पता चलता है कि कंपनी ज्यादा किसी के कर्जदार है। वहीं ज्यादा इक्विटी से पता चलता है कि कंपनी पर इन्वेस्टर्स का भरोसा है। ध्यान रखें कि इनकम स्टेट में एक पीरियड ऑफ टाइम के लिए होता है जैसे कि एक महीना को या एक साल के लिए जबकि बैलेंसशीट एक वर्टिकल टाइम के लिए होता है। जैसे आज की तारीख में क्या एक साल पहले गांधी के समय पर इसी लिए एक बिजनेस को समझने के लिए आपको उसके तीनों स्टेप में समस्या हो तो हमने उसका इनकम स्टेटमेंट और बैलेंसशीट देख लिया।

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