Largest gold Reserves found in Bihar Jamui: बिहार में मिला देश का सबसे बड़ा सोना भंडार Bihar में छिपा है देश का 44 प्रतिशत Gold भंडार बिहार में पड़ा सोना महाभारत काल का है?
Largest gold Reserves found in Bihar Jamui: बिहार में मिला देश का सबसे बड़ा सोना भंडार Bihar में छिपा है देश का 44 प्रतिशत Gold भंडार बिहार में पड़ा सोना महाभारत काल का है?
बिहार पूर्वी हिन्दुस्तान का वो राज्यो जिसका जिक्र आते ही अक्सर लोग एक गरीब और पिछड़े राज्य की तस्वीर अपने दिमाग में बना लेते हैं। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि यहां की जमुई की मिट्टी सोना उगलती है और दिलचस्प बात ये है कि जगह एक दो नहीं बल्कि देश का फोटी फोर परसेंट सोने का भंडार अपने गर्भ में लिए बैठी है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे इतने सालों तक इतना बड़ा खजाना सरकार और लोगों की नजरों से छिपा रहा। आखिर सबसे पहले किसे यहां मौजूद सोने की भनक लगी। आज इन्हीं सब सवालों का जवाब हम यहां जानेंगे।
अंत तक देखिएगा तो बात है। दिसंबर 2 हज़ार 21 की जब अचानक बिहार का जमुई ज़िला रातों रात लाइमलाइट में आ गया। देश के सभी छोटे बड़े न्यूज चैनल्स कैमरा लेकर यहां पहुंच गए और अखबारों के पन्ने कई दिनों तक इस शहर के बारे में बताते बताते खप गए। नई दुनिया की नजरें भी और जगह के बारे में जानने के लिए और भी ज़्यादा व्याकुल नज़र आई। दरअसल हुआ कुछ यूं कि संसद का सत्र चल रहा था। ऐसे में किसी एक सांसद के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बता दिया कि जमुई जिले के गढ़ मठिया गांव के सोनो ब्लॉक में सोने का बहुत बड़ा भंडार है। वे हर वर्ष 22 मिलियन टन साफ को गोल्ड। बस फिर क्या था ये सुनने की देर थी और सब पहुंच गए।
ये जानने कि आखिर इतना सोना यहां आया कहां से। और इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने तो कर मठिया का नाम ही बदल लिया और कर दिया। सोन मटिया यानी आजतक जिन इलाकों से नक्सलियों की बंदूकें बारूद उगलती थी, वहां की धरती अब सोना उगलने वाली है। लेकिन सबसे पहले हैरान करने वाली बात ये है कि जिस लाल बंजर मिट्टी के नीचे इतना बड़ा सोने का भंडार है, उसे सबसे पहले किसी वैज्ञानिक या फिर स्थानीय आदमी ने नहीं बल्कि चीटियों ने खोजा था। हालांकि ये बात अलग है कि सरकार को इसका ठीक तरह से पता लगाने में 40 साल लग गए और तब जाकर इसकी पुष्टि हुई कि बिहार देश का सबसे बड़ा सोने का भंडार लिए बैठा है।
दरअसल बताया जाता है कि करीब चार दशक पहले यहां एक बड़ा बरगद का पेड़ हुआ करता था, जिसके नीचे हर दिन चरवाहे दिन के वक्त धूप से बचने के लिए जमा हुआ करते थे और पहले तो किसी ने ज्यादा गौर नहीं किया, लेकिन एक रोज देखा कि चीटियों का एक लंबा चौड़ा काफिला वहां अपना घरोंदा यानी हील तैयार कर रहा था, जो देखने में तो काफी आम सी घटना थी। मगर चीटियां जिस मिट्टी का इस्तेमाल यहां अपना घर बनाने के लिए कर रही थी, वो काफी अलग थी क्योंकि वो काफी चमकदार थी और मिट्टी के रंग से भी बहुत अलग थी। ऐसे में जैसे ही वहां मौजूद कुछ लोगों की नजर उन चमकीले कणों पर पड़ी तो उनकी बांछें खिल गई। कहा जाता है कि कुछ लोगों ने तो धातु के इन गड्ढों को काफी दिन तक इकट्ठा किया और फिर सुनार के पास बेच दिया, जिससे उन्होंने खूब पैसे कमाए। साथ ही माना जाता है कि उस वक्त जिन सोने के कणों को बेचा गया उनकी क्वॉलिटी भी ग्रेट की थी। यानी उम्मीद है कि यहां मौजूद बाकी सोना भी काफी अच्छी क्वॉलिटी का होगा।
वैसे यहां मौजूद सोने की दास्तां को महाभारतकाल से भी जोड़कर देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में राजा कर्ण, मुंगेर के कर्म चौरा में सवा मन सोना दान करते थे और जो समय मनसूना दान के लिए जाता था, वो कहीं और से नहीं बल्कि जमुई के सोनो ब्लॉक से ही जाया करता था। हालांकि ये बात कितनी सच है और कितनी फसाना असल में किसी को नहीं मालूम क्योंकि स्थानीय स्तर पर जितने मुंह उतनी बातें कोई कुछ और बताता है तो कोई को चार। लेकिन एक बात जो सच है वो ये कि कुछ दशक पहले सोने के खजाने का राज़ ज्यादा दिनों तक राज नहीं रह पाया और ये बात जंगल में लगी आग की तरह पूरे इलाके में तेजी से फैल गई और पहले तो सोने वाली बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया। मगर जब गांव के लोगों ने खुद मिट्टी में मौजूद सोने के कणों को पानी की मदद से छान कर निकाला तो उन्हें भी विश्वास हो गया। माही जैसे ही चमकीली धातु वाली बात यहां के प्रशासन के कानों तक पहुंची तो अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए।
बस फिर तो सरकारी काम के पुरातत्व से लेकर खनन विभाग सब यहां पहुंच गए और अपनी कार्रवाई शुरु कर दी। मीडिया में छपी खबरें बताती हैं कि नंदी ने टीटू से लेकर नसीमुद्दीन सिद्दकी तक यह सरकारी अमला ऐक्टिव रहा। सबसे पहले उन्होंने इस जगह को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया और स्थानीय लोगों को यहां से दूर रखा और तब जाकर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने यहां खुदाई की, लेकिन बाद में कहा गया कि सोने के लिए की जा रही खुदाई में आने वाला खर्च काफी ज्यादा होगा और यहां मौजूद सोना बहुत गहराई में है और कम मात्रा में है। ऐसे में यह घाटे का सौदा रहेगा। इसलिए कुछ वक्त बाद इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
लेकिन साल दो हज़ार 10 और 11 में जमुई के सोने को लेकर प्रशासन की नींद एक बार फिर टूटी और खुदाई का काम फिर शुरू हुआ। इस बार जमुई की धरती के गर्भ में छिपे सोने को जाँचने और भंडार की मात्रा जानने के लिए सैंपल भी इकट्ठा किए गए। लेकिन उस वक्त इसके क्या नतीजे रहे। इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है। मगर साल दो हज़ार 20 आते आते अप्रैल के महीने में। जीएसआई एक बार फिर सक्रिय हुई और जमीन की ऊपरी सतह का नमूना इकट्ठा किया गया। जिसके बाद एक नई रिपोर्ट तैयार की गई और भारत सरकार इस कन्फ्यूजन पर पहुंची कि जमुई में देश का फोटो फोर प्रतिशत स्वर्ण भंडार है।
अब जरा हम आपको जमुई के कर मठिया जिसे आप लोग सोन मठिया कहते हैं। के बारे में बताएं तो यह जगह सोनो प्रखंड मुख्यालय से आठ और जमुई ज़िला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। बंजर और बिना आबादी वाली इस जमीन पर मालिकाना हक जनहित पंचायत के लोगों का है। ऐसे में अब जब से यहां सोने का भंडार होने की बात पर सरकारी मुहर लगी है, तब से चुरहट के लोगों की खुशी अलग लेवल पर पहुंच गई है। उनका कहना है कि इस जगह का नाम सोनो होने का रेलवे अब पूरी तरह से दूर हो गया है। अब बस उस वक्त का बेसब्री से इन्तजार है जब यहां से सोना निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी।
वैसे यहां एक बात और क्लियर कर दे कि ना सिर्फ सोनो ब्लॉक में बल्कि जमुई के दूसरे ब्लॉक में भी कई तरह के खनिज पाए जाते हैं, जिसमें माइका के अलावा गोमेद समेत कई दूसरे बेशकीमती पत्थर शामिल हैं और सबसे खास बात यह है कि अब आधुनिक तकनीक की वजह से सरकार के लिए खुदाई करवाना पहले के मुकाबले काफी सस्ता सौदा हो गया है। ऐसे में इस बात की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ गई है कि अब सोने की खुदाई में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और यहां जल्द सोने के खनन का काम शुरू हो जाएगा। तो चलिए दोस्तो बिहार में मौजूद स्वर्ण भंडार के बारे में बताता। ये विडियो यहीं खत्म होता है। उम्मीद है आपको ये पसंद आया होगा।

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