NCERT के पाठयक्रम संशोधन में मुस्लिम शासकों से जुड़े कई अध्यायों को घटाया, ‘मुगल साम्राज्य’ चैप्टर का भी नाम बदला

 NCERT के पाठयक्रम संशोधन में मुस्लिम शासकों से जुड़े कई अध्यायों को घटाया, ‘मुगल साम्राज्य’ चैप्टर का भी नाम बदला





 सभी एंट्री आईटी के स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर आई। एनसीआरटी के पाठ्यक्रम में संशोधन किया गया है। देखकर होंगे आपके इस संसोधन में यानि की इस बदलाव में मुस्लिम शासकों से जुड़े कई अध्यायों को हटा दिया गया और मुगल साम्राज्य नाम के चैप्टर को नाम भी बदल दिया गया। आपको बता दें एनसीईआरटी के सभी स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर आ रही है। इसमें कुछ गुजरात दंगों से जुड़े टॉपिक को भी क्लास 12 की पाठ्यक्रम से हटाया जाना है।


 वैसे तो एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में कुल क्या क्या बदलाव चेंजेज किए गए हैं और इन्हें जनवरी 2 हज़ार के बाद से 20 नए एजुकेशन सेशन से यानी की नया शैक्षणिक सत्र जो शुरू होगा उसे ही लागू करेंगे। खासकरके हिंदी मीडियम में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए बड़ी क्या बने ध्यान से दिखेगा। भारत सरकार ने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करने की प्लानिंग बनाई है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कक्षा छठी से 12वीं के लिए इतिहास की नौ वर्तमान पाठ्यपुस्तकों की छानबीन की गई और एनसीईआरटी में प्रस्तावित पाठ्यक्रम बदलाव से इसकी तुलना की गई।


 जांच में पाया गया कि पाठ्यक्रम में यानी की सिलेबस में मुस्लिम शासकों से जुड़े कई सारे बड़े बदलाव किए गए हैं। क्लास की इतिहास की पाठ्यपुस्तक हमारा इतिहास सेकंड में दिल्ली सल्तनत से जुड़े कई पेजों को हटा दिया गया। इसमें मान लोग तुगलक खिलजी, लोदी और मुगल शासकों से जुड़े अध्याय शामिल हैं। इन बदलावों को लेकर एनसीईआरटी की तरफ से ये तर्क दिया गया है कि सरकारी संस्थाएं ही पाठ्यक्रम और पुस्तकों में बदलाव को लेकर फैसला लेती हैं। मौजूदा समय में पाठ्यक्रम में संसोधन में बच्चों पर पढ़ाई के बोझ को कम करना है, जिससे कोर्स के दौरान हुए नुकसान की  भरपाई की जा सके। 


 जिसके तहत एनसीईआरटी ने 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब से गुजरात दंगों, नक्सली आन्दोलन का इतिहास जैसे कई पाठ्यक्रम को हटाने की जानकारी दी गई है। असल में एनसीईआरटी ने कोरोना महामारी के मद्देनजर जो पाठ्यपुस्तक की युक्तिकरण योजना के तहत क्लास 12वीं के पाठ्यक्रम में संशोधन करते हुए ये फैसला लिया गया है। मतलब इस पाठ्यक्रम में बदलाव के पीछे भी एनसीईआरटी का यही कहना है कि कोर्स के दौरान जो बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ इसीलिए जो अन इम्पॉर्टेन्ट टॉपिक यानी कि जो बिना महत्वपूर्ण टॉपिक हैं उनको हटाया जाएगा ताकि बच्चों की पढ़ाई का बोझ कम हो सके और कोरोना काल के दौरान जो बच्चों को पढ़ाई का नुकसान हुआ उसका भरपाई हो सके। 



इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बार भी राजनीतिक विज्ञान की किताब से एनसीईआरटी ने गुजरात दंगों के साथ ही अन्य विषयों को भी हटाने का फैसला लिया है। जिसमें नक्सली आन्दोलन का इतिहास और आपातकाल के दौरान अतिवाद जैसे विषय भी शामिल हैं। किताब में नक्सली आन्दोलन के इतिहास पेज संख्या एक ज़ीरो पाँच और आपातकाल के दौरान विवाद में संख्या 113 से 197 शामिल था। एनसीईआरटी ने अपने नोट में कहा कि कोर्स के दौरान जो बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ा। इसी के लिए ये फैसला लिया गया है। एक तो उम्मीद दूसरों से इन मेडम स्टूडेंट्स और एनसीईआरटी ने की। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग के बोर्ड से जो बारवी की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स हैं, उनके लिए महत्वपूण अपडेट आपको जरूर जानने मिला होगा।


 अपने सभी दोस्तों के साथ इस मुद्दे को जरूर शेयर करना और मुझे निजी   कमेंट करके बताना उसको कि आप बार्बी ने कौन से सब्जेक्ट की पढ़ाई करें ताकि मैं आपके सब्जेक्ट के और भी काम के नोट्स लगे। रांची के इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन्स आपके मोबाइल तक शेयर कर पाऊंगा।

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