World Population Day 2022:2030 में विश्व की जनसंख्या कितनी होगी?

 World Population Day 2022:2030 में विश्व की जनसंख्या कितनी होगी?





 आज विश्व जनसंख्या दिवस है। हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। मौजूदा वक्त में दुनिया की आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है और अनुमान की मानें तो दो हज़ार 27 तक भारत चीन को पछाड़ कर जनसंख्या के मामले में नंबर वन पर आ जाएगा। जनसंख्या दिवस पर देखिए बड़ी आबादी की कहानी आंकड़ों की जुबानी।


 आधा अरब लोगों की दुनिया हर किसी के लिए बेहतर भविष्य तय करने की ओर बढ़ते कदम जहां से हों अधिकार। सबके पास अपनी पसंद के विकल्प हों। यह है इस बार विश्व जनसंख्या दिवस की थीम और इस थीम का उद्देश्य है कि बढ़ती जनसंख्या को समस्या नहीं समाधान के तौर पर देखा जाए। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का सिलसिला 1990 से चल रहा है। दरअसल 1989 में यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया।


 11 जुलाई 1989 को ही दुनिया की आबादी 5 अरब तक पहुंच गई। ऐसे में बढ़ती जनसंख्या से जुड़े मुद्दों और पर्यावरण विकास पर इसके असर को लेकर जागरुकता के लिए जनसंख्या दिवस की शुरुआत की गई। यूनाइटेड नेशंस पॉप्युलेशन फंड के मुताबिक दुनिया की कुल आबादी फिलहाल 7,95,00,00,000 है। इसमें से 65 परसेंट आबादी 15 से 64 साल की उम्र के लोगों की है। 65 साल से ऊपर के लोगों की कुल 10 परसेंट तो वहीं 14 साल से कम उम्र के लोगों की 25 पर्सेंट हिस्सेदारी है। यूएन एपीए के मुताबिक अगले कुछ महीने में ही दुनिया की आबादी 8 अरब तक पहुंच सकती है। दुनिया की आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है। इस तेजी का अंदाजा आप ऐसी भी लगा सकते हैं कि दुनिया की आबादी 1 अरब होने में लाखों साल लगें। लेकिन 1 अरब से 7 अरब तक पहुंचने में करीब 200 साल ही लगे। दो हज़ार 11 में दुनिया की आबादी करीब 7 अरब थी जो दो हज़ार 21 में बढ़ कर 7.9 अरब हो गई। यूनाइटेड नेशंस की मानें तो दो हज़ार 30 तक आबादी 8.5000000002 हज़ार 50 तक 9.7 अरब और 21 साल तक 10.9 अरब पहुंच जाएगी। 


 वर्ल्ड पॉप्युलेशन प्रोस्पेक्ट्स ट्वेंटी नाइंटीज के मुताबिक दुनिया की कुल आबादी में 60 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सेदारी एशिया की है। चीन और भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं। अनुमान के मुताबिक दो हज़ार 27 के आसपास आबादी के मामले में भारत चीन को पीछे छोड़ देगा। इस वक्त चीन की आबादी करीब 1,44,00,00,000 है तो भारत की आबादी करीब 40 करोड़ के आसपास है। यूनाइटेड नेशंस का कहना है कि इस तरह के इजाफे के पीछे प्रजनन दर में बदलाव, शहरीकरण और माइग्रेशन जैसे फैक्टर हैं। पिछले कुछ दशकों में प्रजनन दर और लोगों की जीवन प्रत्याशा में भारी बदलाव देखने को मिला है।

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