SC ने कहा- 9 नवंबर तक बताएं किस कानून से 1000-500 के नोट बंद किए | India Banknote Demonetisation

 SC ने कहा- 9 नवंबर तक बताएं किस कानून से 1000-500 के नोट बंद किए | India Banknote Demonetisation





 दरअसल आपको बताऊंगा ठीक पाँच साल पहले दो हज़ार 16 दिन था। 8 नवंबर का और देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से एलान किया गया कि ठीक आज रात 08:00 बजे से जो 500 और एक हज़ार के पुराने नोट थे, उनको चलन से बाहर कर दिया जाएगा। इस एलान के बाद देश में खलबली सी मच गई और उसके लगभग महीने भर तक बैंकों में और सब जगहों पर आपको भारी लाइने भी देखने को मिली होगी। कहने का मतलब ये कि जब भारत सरकार ने डिमॉनेटाइजेशन किया था न तो उस समय लोगों को काफी समस्या हुई और इससे हमारी इंडियन इकोनॉमी पर भी गहरा असर पड़ा।


 हालांकि नोटबंदी के कुछ फायदे भी देखने को मिले। भारत में डिजिटलाइजेशन बड़ा कैश लेनदेन कम हुआ, जबकि डिजिटल ट्रांजिक्शन में बढ़ावा मिला। नोटबंदी के बाद से ही आपको बताऊंगा। पेटीएम, भीम एप, यूपीआई जैसे डिजिटल पेमेंट के चलन सामने आए और उसके बाद तो भारत में मानों डिजिटल क्रांति ही शुरू हो गई। कहने का मतलब दोस्तो आज तो कई सारे लोग जिन्हें आपने हमारे पास आकर किसी को आनलाइन पैसे भेजने, फोन पे पेटीएम, गूगल पे भीम एप, वगैरा वगैरा पर भी नेट बैंकिंग, आईएमपीएस, एनईएफटी, आरटीजीएस वगैरह। लेकिन अब यहां पर इस वक्त की जो भी ब्रेकिंग न्यूज अपडेट। ये आप सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नोटबंदी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया गया और सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और आरबीआई को एक नोटिस जारी किया। देखिए क्या नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 9 नवंबर तक यानि कि अगले महीने की नौ तारीख तक केन्द्र सरकार और आरबीआई को ये बताना होगा कि आखिर किस कानून से एक हज़ार और 500 के नोटों को बंद किया गया क्योंकि तो सुप्रीम कोर्ट में भारत के ही कुछ लोगों ने याचिका लगाई कि आखिर केन्द्र सरकार ने जो दो हज़ार 16 में नोटबंदी की थी। 


पाँच साल पहले वो क्यों की। मतलब केन्द्र सरकार के पास ऐसा क्या राइट से क्या अधिकार है जिसके तहत केन्द्र सरकार ने नोटबंदी की याचिका कर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि भारतीय रिजर्व बैंक यानि की आरबीआई के अधिनियम की धारा सिक्स जो के तहत जो केन्द्र सरकार होती है उसको एक खास सीरीज के करंसी के नोटों को रद्द करने का अधिकार होता है ना कि संपूर्ण करंसी के नोटों को बंद करने का। लेकिन आपको बताऊंगा। नोटबंदी के समय जो मेजर बड़े बड़े नोट थे, 500 और एक हज़ार का नोट उनको ही बंद कर दिया। पुराने नोटों के चलन में सिर्फ वही नोट रहे।


 जैसे पचासों की 10 20 वगैरा की छड़ जड़े हों तो ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज ही अभी अभी एक बड़ा फैसला सुनाया और केन्द्र सरकार को और भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 नवंबर तारीख तय की है और 9 नवंबर तक केन्द्र सरकार को ये बताना होगा कि किस कानून के तहत 500 और एक हज़ार के नोटों को बंद किया गया। कोर्ट ने सरकार और आरबीआई को हलफनामे में अपना जवाब देने के लिए कहा है और अब इसी बात का जवाब सरकार और आरबीआई को सुप्रीम कोर्ट में देना होगा। 9 नवंबर से पहले भले अब देखना ये बड़ा ही दिलचस्प होगा कि आखिर केन्द्र सरकार इस मामले में क्या जवाब दे पाती है। अभी भी एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जो 500 और दो हज़ार रुपए के नए नोट की करंसी सामने आईं। नोटबंदी के बाद उनमें से लगभग 1680 करोड़ नोट ही गायब है। यानि की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई के पास उनका हिसाब नहीं है तो देखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार की तरफ से इस मामले पर क्या जवाब दिया जाता। 


24 अप्रेल को तो मैं आपको बता दूंगा में से आप मुझे के नीचे कमेंट करके बताइए दोस्तों की क्या? केन्द्र सरकार के द्वारा नोटबंदी का जो फैसला लिया गया वह सही था या नहीं था। नोटबंदी को लगभग पाँच साल हो चुके हैं तो अब तो आप भी ये समझ गए होंगे कि इसके क्या इम्पैक्ट हमें देखने को मिले। सोसायटी पर और इंडियन इकोनॉमी पर क्या नोटबंदी सही डिसीजन था यारों डिसीजन आपकी क्या राय है? इस पर नीचे कमेंट करके बताइएगा। वैसे तो नोटबंदी के एक मुख्य कारण को अगर काले धन से समझा जाए कि काले धन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने नोटबंदी की थी तो इसमें मेरी राय ये है कि सरकार को फिर दो हज़ार रुपए का एक बड़ा नोट जारी नहीं करना चाहिए था, क्योंकि दो हज़ार का नोट यानी की करंसी का नोट जितना बड़ा होगा, उतनी तो और काले धन आगे और ज्यादा बढ़ेगी तो मैंने दो हज़ार के नोटों से तो और कालाबाजारी बढ़ेगी।

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