UP Election 2022: तो अखिलेश जुट गया है 2024 की तैयारी।
UP Election 2022: तो अखिलेश जुट गया है 2024 की तैयारी।
तो अखिलेश जुट गया है 2024 की तैयारी। नमस्कार आपके पिता पर आपके साथ मैं हो सकता। ये खबरें तो आपने सुने ही होंगे कि अखिलेश मैनपुरी के करहल सीट छोड़ सकते हैं और आजमगढ़ संसदीय सीट पर बने रह सकते हैं। तो भाई आपस में खबर ये भी आ रही है कि अखिलेश इस सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़वा सकते हैं। अगर करहल सीट छोड़े अखिलेश को 1008 के स्वामी प्रसाद को उतारा जा सकता है उप चुनाव और ये बात यूं ही नहीं कही जा रही है।
दरअसल रविवार को अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच में बंद कमरे में मुलाकात होती है और माना जा रहा है कि चुनाव में हार की वजहों की समीक्षा इस मुलाकात में की गई। साथ ही साथ नगर में स्वामी के हार के कारणों को भी टटोला गया जिसमें ये कहा गया कि बीजेपी ने कैसी रणनीति तैयार की सोची समझी कैंपेनिंग की जिसकी वजह से स्वामी प्रसाद मौर्या को शिकस्त मिली। तो अगर अखिलेश करहल छोड़ छोड़कर स्वामी को वहां से चुनाव लड़ पाते हैं तो उसे 2024 के लिए बड़ा प्लान माना जाएगा। प्लान ओबीसी पॉलिटिक्स को लेकर।
दरअसल ऐसा होने से गैर यादव ओबीसी बैंक अब वोटर को एक बड़ा संदेश जाएगा ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपने गैर यादव ओबीसी की नई केमिस्ट्री को धार दे सके तो अखिलेश अपने सहयोगी ओबीसी नेताओं की छवि को और बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं जिससे उसका फायदा 2024 के लोक सभा चुनावों में लिया जा सके और बीजेपी के नॉन यादव ओबीसी वोट बैंक में रिमार्क बल सेंधमारी हो सके। क्योंकि आज जब तक उधर से बड़ी टूट नहीं होगी तब तक सपा के लिए चुनौतियां ही होंगी क्योंकि आंकड़ों को देखें तो इस बार के चुनाव में मौर्य कुशवाहा सैनी वोटर सब सपा के खाते में बढ़े तो लेकिन उतने नहीं सपा के खाते में 2017 की तुलना में 4 फीसदी ज्यादा वोट इस समुदाय के आएगा। लेकिन दूसरी तरफ यह भी देखिए कि यही वोट बीजेपी के पास पिछली बार की तुलना में आठ फीसदी ज्यादा है।
यानी भले ही सपा के वोट बैंक में समाज का वोट जुड़ा हो लेकिन उससे कहीं ज्यादा बीजेपी के साथ गया। कोशिश होगी कि बीजेपी के वोट को उधर से इधर कुछ कहें लेकिन खिसकाया जाए। हालांकि अखिलेश की ये कोशिश इस बार के चुनावों में भी थे लेकिन स्वामी प्रसाद ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। वो अपनी ही सीट से हार गए। सारे प्रसाद मौर्य ने फाजिलनगर विधान सभा से सपा के निशान पर चुनाव लड़ा था और यहां उनको हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे पाले स्वामी अपने पारंपरिक सीट पडरौना से विधायक थे और इसके साथ ही वो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। स्वामी ने चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी की साइकिल का हैंडल थाम लिया था। 2007 से 2005 तक कुशीनगर जिले के अपने पारंपरिक पडरौना से विधायक रहे।
2016 में बीजेपी में आने से पहले वो बसपा के साथ थे। उसी तरह किसी को छोड़ने का फैसला अगर अखिलेश लेते हैं तो का एक और मरता है। वह इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के गठबंधन ने आजमगढ़ में क्लीन स्वीप किया। इसके अलावा दूसरी वजह 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव भी है। अखिलेश यादव अपनी आजमगढ़ सीट को बरकरार रखना चाहते हैं। उनकी पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में केवल 5 सीटें मिली थीं तो अब उनकी निगाहें 24 के लोकसभा में दमदार उपस्थिति दर्ज करवाने थी।
আজকের আইটির নীতিমালা মেনে কমেন্ট করুন। প্রতিটি কমেন্ট রিভিউ করা হয়।
comment url