How to replace the intelligence of our head and the whole body in just 30 minutes

 How to replace the intelligence of our head and the whole body in just 30 minutes






दोस्तो आज इस में आप जानेंगे एक ऐसी आसान सी टेकनीक जिसके अभ्यास से आपका ब्रेन आपका पूरा नर्वस सिस्टम रिसेट हो जाएगा। ये टेक्नीक ना केवल आपके ब्रेन फंक्शन और फोकस करने की क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि इस टेक्निक के अभ्यास से कुछ ही सेकंड्स में आपको स्ट्रेस से डिस्ट्रेस होने में मदद मिलेगी। 



दोस्तों बात स्टडी में फोकस करने की हो या स्ट्रेस टेंशन और एंजाइटी से राहत पाने की। इन सभी चीजों को कंट्रोल करने के लिए मेडिटेशन ब्रीदिंग, एक्सरसाइज और अच्छे न्यूट्रिशंस खाने से काफी मदद मिलती है और हाल ही के कुछ वर्षों में ब्रेन फंक्शन पर होने वाली कई रिसर्च में ये पाया गया है कि अलग अलग तरह की ब्रीदिंग एक्सरसाइज से ब्रेन के अलग अलग न्यूरोन्स एक्टिवेट होते हैं, जो ब्रेन और बॉडी को अलग अलग तरह से फायदा पहुंचाते हैं। आसान भाषा में कहें तो सांस लेने और छोड़ने का तरीका आपके ब्रेन को एक अलग लेवल पर ले जा सकता है। दोस्तों इससे पहले कि मैं वो टेक्नीक बताऊं आपको अपने डायफ्राम के बारे में कुछ चीजें समझ लेनी चाहिए। डायाफ्राम एक स्केलेटन मसल है बिल्कुल वैसे ही जैसे बाइसेप्स और ट्राइसेप्स होते हैं उसी तरह से ये एक मासूम हड्डियों का ढांचा होता है। 


डायाफ्राम इनसानी शरीर का इकलौता ऐसा हिस्सा है जो अपनी मर्जी से मूव करता है। डायफ्राम सांस लेने और छोड़ने के अलावा फ्रैंक नर्व के द्वारा ब्रेन को बॉडी के  बारे में कई तरह की इन्फर्मेशन भेजता है। आप दौड़ रही हैं मेडिटेशन कर रही हैं या रिलैक्स बैठकर केवल टीवी देख रही हैं। ये सारी जानकारी ब्रेन तक फ्रेंच नर्व के माध्यम से डायाफ्राम ही ब्रेन को भेजता है। क्या आपने कभी नोटिस किया है कि जब कभी भी आपको किसी चीज से राहत मिलती है या आप किसी लंबे काम लेक्चर क्लास या लंबे समय तक पढ़ने के बाद ब्रेक लेते हैं या आपको अचानक कोई अच्छी सी खबर मिलती है तो आप एक लंबी गहरी राहत की सांस भरते हैं और डायाफ्राम में भरी हुई लंबी गहरी सांस ब्रेन में मौजूद सारी न्यूरॉन्स को एक्टिवेट कर देती है और डायाफ्राम से जुड़ें ये वो न्यूरॉन्स हैं जो हमारी ब्रेन को शांति और राहत का अहसास करवाते हैं।


 हमारी बॉडी और ब्रेन को रिलैक्स करते हैं और हमें एक आनंद की अनुभूति करवाते हैं। इंसानी दिमाग में हंड्रेड बिलियन न्यूरॉन्स पाए जाते हैं जो रोने हंसने, चीखने सुनने महसूस करने और हमारी हर तरह के एक्शन में हमारी मदद करते हैं। पर हमारे अलग अलग एक्शन के लिए न्यूरॉन्स का अलग अलग ग्रुप काम करता है और ऐसे न्यूरॉन्स के एक ग्रुप का नाम है। सायन न्यूरॉन्स से जो सुख और आनंद की अनुभूति करवाता है। अब तक आप ये बात तो समझ ही गए होंगे कि किसी काम के खत्म होने या किसी चीज से राहत मिलने पर ली गई। लंबी गहरी सांस से जो हमें एक आनंद की अनुभूति होती है, उसका कारण है हमारा डायफ्राम हो। 


डायफ्राम से जुड़े साइड न्यूरॉन्स से और इसी स्टडी के आधार पर ब्रीदिंग की एक बहुत ही आसान सी टेकनीक से आप अपने ब्रेन और बॉडी को जब चाहें शांत और रिलैक्स कर सकते हैं और जब ब्रेन रिलैक्स होता है तो किसी भी चीज पर फोकस करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है और साथ ही स्ट्रेस सोरेंग एंजाइटी में भी राहत मिलती है। चलिए अब जानते हैं उस टेक्नीक के बारे में जिसे 1930 में खोजा गया था। अब करना यह है कि जब भी आपको लगे आपको स्टडी या किसी चीज पर फोकस करना है या फिर आपको स्ट्रेस एंजाइटी से राहत पानी है और ब्रेन और बॉडी को रिलैक्स करना है तो आप एक सिंपल सी ब्रीदिंग टेक्नीक का अभ्यास करें जिसमें आपको डबल ब्रीदिंग अंदर लेनी है।


 यानी कि एक साथ दो बार में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा अपने डायाफ्राम में भरनी है और फिर एक ही बार में कार्बन ऑक्साइड को बाहर निकाल देना है। इस तरह जितना टाइम दो बार सांस अंदर भरने में लगाना है, उतना ही टाइम एक ही बार में सांस को मुंह से बाहर निकालने में भी लगाना है। ऐसा करते वक्त पहले सांस थोड़ी लंबी भरी जाएगी और इसके बाद तुरंत पीछे दूसरी सांस थोड़ी छोटी सी भर सकते हैं और फिर धीरे से एक ही बार में सांस को मुंह से बाहर छोड़ देना है और फिर इसी तरह इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज को 4 से 6 बार दोहराना है तो ब्रेन को सेट कर बॉडी को रिफ्रेश करने का ये आसान अभ्यास है। आप इसे दिन में कई बार कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं और यकीन मानिए ये अभ्यास आपकी दुनिया बदल सकता है।

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