Raksha Bandhan 2022: Happy Raksha Bandhan Images Raksha Bandhan Quotes When is Raksha Bandhan
Raksha Bandhan 2022: Happy Raksha Bandhan Images Raksha Bandhan Quotes When is Raksha Bandhan
नमस्कार दोस्तों आज के एपिसोड में हम लेकर आए हैं। रक्षाबंधन मनाने का कारण पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार न केवल भाई बहन के प्रेम का प्रतीक अपितु परिवारों को जोड़े रखने का एक बेहद अच्छा माध्यम है तो पुरातन काल से मनाए जाने वाले इस त्योहार के पीछे का क्या कारण है। आज हम इस विडियो के माध्यम से जानेंगे।
11Aug 2022
इस कथा के अनुसार दैत्यों के राजा बलि ने 110 यज्ञ पूर्ण कर लिये थे। जिस कारण देवताओं का डर बढ़ गया कि कहीं राजा बलि अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार न कर ले। इसलिए सभी देवता भगवान विष्णु के समक्ष रक्षा के लिए पहुंचे। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से भिक्षा मांगी। भिक्षा में बलि ने तीन पग भूमि देने का निश्चय किया। तब भगवान विष्णु ने एक पग में स्वर्ग दूसरे में पृथ्वी को लिया। जब राजा बलि ने तीसरा पग आगे बढ़ते हुए देखा तो वह परेशान हो गया और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। फिर बलि ने अपना सिर वामन देव के चरणों में रखा और कहा, आप तीसरा पग यहां रखते हैं और इस प्रकार राजा बलि से स्वर्ग एवं पृथ्वी पर निवास करने का अधिकार छीन लिया गया और बलि रसातल में चला गया।
तब बलि ने अपनी भक्ति से भगवान से हर समय अपने सामने रहने का वचन लिया और भगवान विष्णु को राजा बलि का द्वारपाल बनना पड़ा। जिस कारण देवी लक्ष्मी दुविधा में पड़ गई। वह विष्णु जी को रसातल से वापस लाना चाहती थी। तब उसने नारद जी से इस समस्या का समाधान मिला। लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर राखी बांधी और उसे अपना भाई बना लिया और उपहार में उन्होने अपने पति विष्णु जी को मांगा। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और तब से ही रक्षाबंधन मनाया जाता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इसकी एक कथा भविष्य पुराण में भी उल्लेखनीय है। इस कथानुसार प्राचीन काल में 12 वर्षों तक देव और असुरों के मध्य संग्राम होता रहा। इस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। तब इन्द्र देव गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे। वहां इन्द्र की पत्नी शचि भी उपस्थित थी। इन्द्र को दुखी देखकर इन्द्राणी ने कहा, स्वामी कल ब्रह्मण शुक्ल पूर्णिमा है। मैं विधि विधान के साथ एक रक्षासूत्र आपके लिए तैयार करूंगी। आप उसे स्वस्ति वाचन पूर्वक ब्राह्मणों से बनवा लीजिएगा आप निश्चय ही विजयी होंगे। अगले दिन इन्द्र ने शचि के कहे अनुसार वह रक्षा सूत्र स्वस्ति वाचन पूर्वक बृहस्पति से बनवाया। इस प्रकार एक रक्षा सूत्र से इन्द्र और सभी देवों की रक्षा हुई। दूसरा अगली कथा महाभारत काल से जुड़ी है जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने चक्र से किया तो जब चक्र कृष्ण के पास वापस आया तो उनकी उंगली कट गई।
तब पाण्डवों की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा चीरकर कृष्ण के उंगली में बांध दिया। तब भगवान कृष्ण ने वचन दिया कि वो सारी उम्र द्रौपदी की रक्षा करेंगे। इसी ऋण को चुकाने के लिए द्रौपदी के चीरहरण के समय भगवान कृष्ण चीर के रूप में आये और द्रौपदी की रक्षा की। तो दोस्तो ये थी रक्षाबंधन से जुड़ी कथाएं। और इसी के साथ आप सभी को दरवाई के उसकी ओर से रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। आशा है आपको हमारी आज की जानकारी भी पसंद आए।
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